DURG BREAKING: दुर्ग शहर में बढ़ते पावर कट्स पर पूर्व विधायक अरुण वोरा ने जताई चिंता, तकनीकी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की मांग
गर्मी की उमस और बिजली की आंख-मिचौली से जनता हलाकान : अरुण वोरा
दुर्ग : शहर इन दिनों भीषण गर्मी और उमस के साथ-साथ लगातार हो रही बिजली कटौती से परेशान है। थोड़ी सी आंधी या बारिश होते ही बिजली का बार-बार गुल होना, मानो आंख मिचौली का खेल बन गया है। इस गंभीर समस्या को लेकर दुर्ग शहर के पूर्व विधायक श्री अरुण वोरा ने चिंता जताई है और बिजली विभाग से तत्काल समाधान की मांग की है।
वोरा ने बताया कि वर्तमान में दुर्ग शहर में 11 केवी के साथ-साथ 33 केवी लाइन में भी बार-बार व्यवधान आ रहा है, जिससे बिजली अनावश्यक रूप से बंद हो जाती है। उन्होंने मांग की कि सभी सब-स्टेशनों की रिले सेटिंग तत्काल दुरुस्त की जाए, जिससे अनावश्यक ट्रिपिंग रोकी जा सके।
दुर्ग शहर में करीब 1 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ता हैं, लेकिन उनके अनुपात में तकनीकी कर्मचारियों की भारी कमी है। इस कारण सुधार कार्य समय पर नहीं हो पाते हैं। वहीं, कई ट्रांसफार्मर बहुत पुराने और कम क्षमता के हैं, जिससे वोल्टेज की समस्या बनी रहती है। अरुण वोरा ने मांग की कि शहर में नए ट्रांसफार्मर लगाए जाएं और तकनीकी स्टाफ की संख्या बढ़ाई जाए ताकि उपभोक्ताओं को स्थाई राहत मिल सके।
इस विषय में कार्यपालन अभियंता रविकुमार दानी और सहायक अभियंता बोरसी जोन के दिलेन्द्र कुमार देशमुख से अरुण वोरा ने सीधा संपर्क कर समस्याओं की जानकारी ली और त्वरित समाधान हेतु आग्रह किया। दुर्ग शहर में इस समय 16-17 सबस्टेशन कार्यरत हैं, लेकिन व्यवस्था चरमराई हुई है।
“भाजपा सरकार में बिल दुगना और बिजली आधी” — अरुण वोरा
वोरा ने कहा – भाजपा सरकार के शासन में बिजली कटौती ने जनता की जिंदगी को अंधकारमय बना दिया है। बिजली अब सेवा नहीं, सज़ा बन चुकी है। कांग्रेस सरकार में बिजली का बिल आधा आता था और सुविधा पूरी मिलती थी, लेकिन अब भाजपा सरकार में बिल दुगना और बिजली आधी हो गई है। जनता से वसूली तो हो रही है, लेकिन सुविधा के नाम पर सिर्फ़ अंधेरा, तकलीफ और उपेक्षा मिल रही है। सरकार की उदासीनता ने साबित कर दिया है कि आम आदमी उनकी प्राथमिकता में कहीं नहीं है।
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल (2018–2023) को याद करते हुए वोरा ने आगे कहा, “2018 से 2023 तक कांग्रेस सरकार द्वारा ‘हाफ बिजली योजना’ ने घर का बजट संभाला, तब बिजली एक अधिकार थी — अब बस किस्मत का खेल बन गई है। आज बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, दैनिक कामकाज भी ठप्प हो रहे हैं और आमजन गर्मी में पंखे-बिजली के बिना बेहाल हैं। इस लगातार बढ़ती असुविधा से जनता में गहरा रोष और मायूसी देखने को मिल रही है। सरकार की अनदेखी और लापरवाही के कारण यह समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है।”
शहरवासियों का कहना है कि अभी तो मानसून ठीक से शुरू भी नहीं हुआ और अब से ही लगातार बिजली कटौती से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। वोरा ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो वे जनता की आवाज बनकर बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।